इन दिनों हम सब प्रवासी मज़दूरों की व्यथा से वाकिफ है, परन्तु क्या जानते है हम उनकी रोज़मर्रा की मुश्किलों के बारे में? एक मज़दूर से हम क्या सीख सकते है? एक सामान्य नागरिक की दृष्टि से हमारी क्या भूमिका हो सकती है "सर्वोदय" में? हमारे अतिथि श्री राजीव खंडेलवाल ने इन मुद्दों को पिछले दो दशकों से अपनी कर्मभूमि बनाया है | इनके द्वारा स्थापित संस्था आजीविका ब्यूरो अपने देश के १५ करोड़ अर्ध-प्रशिक्षित प्रवासी मज़दूरों की समस्याओं के प्रति सजग होने का प्रथम प्रयास है |राजीव के साथ अवेकिन टॉक पर संवाद किया रजनी बक्शी ने |
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